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युँही नहीं आँखों में कहानियाँ है दिखती एक उम्र गुज

युँही नहीं आँखों में कहानियाँ है दिखती एक उम्र गुज़र जाती है दिल में दबे हुऐ जज़्बातों की बस चाहिए कोई उन गहराईयों में डुबने वाला. उपर के मखौटे को हटा असली चेहरा देखने वाला की बयाँ करनी है वक्त की कुछ शिकायते, कुछ अपनी बातें तो कुछ तुम्हारी बातें, यादों के सहारे नहीं, बनानी है फिर से कुछ नई यादें, यादे जिनमें शिकायतें नही बस हों वक्त हमरा कुछ मेरा कुछ तेरा, कुछ चुप्पी का, कुछ दिल की बातों का साथ बिते पलो में रच जाऐं फिर नई कहानी कहाँनी की कुछ जज़्बात, फिर से होंगे वक्त से परे और सुकूँ से भरे।

©SAHIL KUMAR
  कुछ बातें
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SAHIL KUMAR

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कुछ बातें #कविता

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