श्याम वर्ण सुशोभित, श्याम बन रास रचाए, कलियाँ जैसे गोपियाँ, पुष्प राधा बन जाए। गुँजन करता भ्रमर, मानो कान्हा बँसी बजाए, लेकर मकरंद पुष्पों का, पँख फैला उड़ जाए। कर रसपान अधरों का, प्रेमी बन मन हर्षाए, मधुकर मधुर संगीत से, कलियों को रिझाए। चमन स्वागत में तत्पर, अनुपम छटा दर्शाए, मेरे प्रिय कान्हा मानो, प्रेमी भँवरा कहलाए। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०३ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।