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हाथों को मैं उठाऊँ कि सब खत्म हो गया! मैं रोऊँ या

हाथों को मैं उठाऊँ कि सब खत्म हो गया! 
मैं रोऊँ या चिल्लाऊँ कि सब खत्म हो गया! 

पूछे ख़ुदा कभी कि हुआ क्या है, ये बता! 
रो-रोके मैं  बताऊँ कि सब खत्म हो गया! 

# hamza hasaam#

©Azeem Khan
  #hamza hassam poetry# Shaaz_369 Sircastic Saurabh Kajal jha (kaju) PRIYANKA GUPTA(gudiya) BenZil (बैंज़िल)