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क्या मदमस्त समां है, हम भी समुद्र की लहरों की तरह

क्या मदमस्त समां है,
हम भी समुद्र की लहरों की तरह जवां है।

 अंगड़ाइयां लेता ये बदन,
दिल में लगाए अगन।

ये हिलोरे खाता गगन,
तन मन में बढ़ती जाए चुभन।

ये अल्हड़ जवानी,
ये पुरवाई
ये रवानी।

ऐसे मौसम में दिल मदहोश हुआ जाए,
दिल की बातें जुबां से कही न जाए।

अब और न सताओ,
दिल की लगी अब तो बुझाओ।

मेरे सांवले सलौने पिया,
तुम्हारे बिन लागे ना जिया।

अब ना और देर लगाओ,
आकर अब तो अंग लग जाओ।

©Shishpal Chauhan
  #ये मदमस्त जवानी

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