भोर हुई "मिष्ठि" ने आँखे खोली... नन्हे नन्हे हाथो से इशारो मे बोली.... ये भोर बड़ी ही मस्त है पापा.... चलो छत पर करे हसी ठिटोली.... चिड़िया करें चि चि चि चि, भोर की किरणे प्यारी बिछी... ऐसा लगे गुनगुनाती धुप मे सूरज दादू ने मिठास घोली... कभी छिपे , कभी निकले... बादलो की ओट मे हमसे खेले... पर्वत से सागर तक कर रहा केसी ये आँख मिचोली.... बिल्कुल मुझसा हस्ता है मुझसा ही तो मुस्कुराता है... इधर उधर घूमता भोला सा... भाये इसकी सतरंगी रंगोली.... इसकी बड़ बड़ मीठी सी, बाते इसकी नासमझी सी.. समझ मे कुछ ना आये... फिर भी प्यारी लगे इसकी बोली.... मासूम इशारे मे आ गए छट पर... नजरें घुमाये केसी इधर उधर... उधम मचाये शोर करे, डाटने पर मुस्कुरा दे है इतनी भोली... आठखेलीयों से मन हर्षित है..... गोद मे झूमें मन पुलकित है... नन्हे नन्हे हाथ इसके नन्ही सी ये... जीवन मे खुशियों की राहे खोली.... ✍️नितिन कुवादे.... . . . .. ©Nitin Kuvade #HappyDaughtersDay2020