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मेरे कृष्ण , तुम्हें पा लूँ इतने मेरे भाग्य कहाँ

 मेरे कृष्ण ,
तुम्हें पा लूँ इतने मेरे भाग्य कहाँ ,
दिन रात तुझमें रम जाऊँ..
इतना औकात कहाँ ,
तू तो मन का वासी है ,
फिर क्यों ये अँखिया..
तेरे दरश की प्यासी हैं ,
मेरे कृष्ण मेरे मन में बस जा 
उध्दार कर , 
भर भक्तिभाव मन का मैल हर । S.S.
Sarita Saini

©Lafz_e_sarita
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