उठी जो आवाज़ ज़मी पर आसमां तक जायेगी, टकराती हुई ये उठकर दो जहां तक जाएगी, अब होगा मुक्कमल मेरी मेहनत का फैसला, अब शोहरत ये देखना मेरी कहां तक जाएगी । ( वैभव पंडित ) vaibhav ki kalam se