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इक समंदर की लहर सा हूँ मैं शांत हूँ तो सुकून वरना

इक समंदर की लहर सा हूँ मैं
शांत हूँ तो सुकून वरना तूफान का साया हूँ मैं
दिखता सबको बड़ा आसान 
मगर उतना ही गहरा राज़ हूँ मैं
दूर दूर तक फैला हैं समंदर का ठिकाना
ना कोई नाप ना माप 
शायद ऐसे ही कहीं मेरी पहचान खो आया हूँ मैं
डर नहीं अब किसी का मुझे 
क्यूंकि मौत से लड़कर आया हूँ मैं
खुद में ही खुद का हमसाया हूँ मैं
कि अब सुर्ख़-रू को साथ लाया हूँ मैं

©writer....Nishu...
  #मैं