Nojoto: Largest Storytelling Platform

चल राख, तू उड़ और डाह कर जलती हुई लकड़ियों से। लक


चल राख, तू उड़ और डाह कर जलती हुई लकड़ियों से। लकड़ियां डाह करें सूखी टहनियों से। टहनियों को हरी भरी लकड़ियों से ईर्ष्या है और पेड़ को लगता है कि वो सबसे कोने कितना अकेला है। इस आग में कितना सौंदर्य बसा है! उसकी लपटें थिरकती हुई जान पड़ती हैं! जल तू भी जल! जल न पाने का दुःख लेकर जल! जल बस जल! #स्त्रीवाद #औरतें #जलन #पितृसत्ता #आग
#सौंदर्य #राख

चल राख, तू उड़ और डाह कर जलती हुई लकड़ियों से। लकड़ियां डाह करें सूखी टहनियों से। टहनियों को हरी भरी लकड़ियों से ईर्ष्या है और पेड़ को लगता है कि वो सबसे कोने कितना अकेला है। इस आग में कितना सौंदर्य बसा है! उसकी लपटें थिरकती हुई जान पड़ती हैं! जल तू भी जल! जल न पाने का दुःख लेकर जल! जल बस जल! #स्त्रीवाद #औरतें #जलन #पितृसत्ता #आग
#सौंदर्य #राख
pratimatr9567

Vidhi

New Creator