नींद तनिक लगी ही थी डर कर मै सहम गई, खून से भीगा हुआ लोथड़ा मेरे ऊपर चढ़ा हुआ, उत्तर दो उत्तर दो कह कर जिद पर अड़ा हुआ, कौन हो तुम जब मैंने पूछा अट्टाहस करके वो बोला, बस भूल गई माँ मुझको ऐसा कह कर उसने मुख खोला, मै हूँ अभागिन बेटी तेरी तूने हत्या कर दलित मेरी, कोख उजाड़ी तूने अपनी बदल डाली किस्मत मेरी, क्या बिगाड़ा था मैंने किसी का जो कुचल डाली अदखिली कली, मै बहुत मजबूर थी बेटी जब मैंने उसे कहा, कैसी मज़बूरी थी बताओ तीखे स्वर में उसने कहा, तुम दादी बुआ भी तो लड़की बन कर आई थी, फिर तुमने क्यों ना लड़का बनकर पिता की वंश बेल बढ़ाई थी, दादा पिता भाई को भी तो जन्म दिया था एक नारी ने, फिर तुमको क्यों मजबूर किया समाज के ठेकेदारों ने, मेरी तो बिसात ही क्या है मै तो अब चली जाती हूँ, बस तुमको इतना कह जाती हूँ, मत अपनी जात को मारो तुम ना यूं पाप कमाओ तुम, कोई नहीं मजबूर कर सकता यदि कहीं जाग जाओ तुम | ©Suresh Gulia enjoy life