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तेरे साथ सोचा था, जिंदगी का हर किस्सा निभाउगा। तुझ

तेरे साथ सोचा था,
जिंदगी का हर किस्सा निभाउगा।
तुझे अपने दिल का हिस्सा बनाउगा।
लेकिन कुदरत का भी कैसा खेल निराला,
मिलाने के बाद अलग कर डाला।
किसी को इंतजार, तो किसी को यार दे डाला।

©मुसाफिर
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