ना जाने ये सब क्या हो रहा है मज़हब के चक्कर में इंसान इंसानियत खो रहा है। देखकर दुनिया का ऐसा माहौल मेरा दर्द स्याही से पन्नों पर रो रहा है।। ©Kumar Sumit #रूपेश_पांडेय