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जी भर प्रयास किया। समाचारपत्रों में विज्ञापन दिया


जी भर प्रयास किया।
समाचारपत्रों में विज्ञापन दिया,
थानों के चक्कर भी काटा,
मंदिर मंदिर मथ्था टेका।
आज भी आश नही छोड़ा है।
बाबूलाल ने बेटे के मिलने का,
दिल से ख्याल नही छोड़ा है।
गॉवो की हर गालियां सुनी है,
माँ घर के कोने में बैठी कुछ
बुदबुदा रही है,,
माँ का हृदय कैसे भूला दे बेटे को।
आज भी वो रोज की तरह उसका 
रास्ता निहार रही है।
बेसुध है, स्वयं से अलग, आँखें भरी है।
बेटे के खिलौने कपड़े आदि को 
बड़े प्यार से देख रही है।
बाबूलाल और उसकी पत्नी के,
जीवन का मानो उद्देश्य ही खत्म हो गया है ।। बहुत तलाश किया लेकिन....
#तलाशकिया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #श्रीsnsa #हिन्दीकाव्य #हिन्दीकाव्यकोश #hkkhindipoetry

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थानों के चक्कर भी काटा,
मंदिर मंदिर मथ्था टेका।
आज भी आश नही छोड़ा है।
बाबूलाल ने बेटे के मिलने का,
दिल से ख्याल नही छोड़ा है।
गॉवो की हर गालियां सुनी है,
माँ घर के कोने में बैठी कुछ
बुदबुदा रही है,,
माँ का हृदय कैसे भूला दे बेटे को।
आज भी वो रोज की तरह उसका 
रास्ता निहार रही है।
बेसुध है, स्वयं से अलग, आँखें भरी है।
बेटे के खिलौने कपड़े आदि को 
बड़े प्यार से देख रही है।
बाबूलाल और उसकी पत्नी के,
जीवन का मानो उद्देश्य ही खत्म हो गया है ।। बहुत तलाश किया लेकिन....
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