देखे थे जो दिन के उजालों में, सतरंगी रंगीन ख्वाब सारे। रात के पहलू में आकर ठहरे गए, छुप गये सारे के सारे। गम जुदाई का भला कैसे सहें, तुम बिन हम भला कैसे रहें। हर तरफ छाई है गम की उदासी, दीप यादों के जलते नहीं। मुकद्दर पर अपने आंसू बहाते- बहाते, रात भर हम रोते रहे, जो पलकों में ठहरे थे मोती बनके, अश्क सारे वो बह गए। सुनना जो चाहोगे, तो खामोशी भी सुन कर ठहर जाओगे। वरना तो, दिल की सदा भी चिल्लाएगी, तो सुन न पाओगे। #Contest 7(Hindi) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 आठ पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,