सन्नाटों से दोस्ती कुछ ऐसे कर ली मेरे दोस्त खुशियों की महफ़िल बेगानी लगने लगी मेरे दोस्त न जाने बरसों कहाँ मशरूफ रही मैं, समझ न पाई क्या हकीकत क्या फसाना मेरे दोस्त दिल-ए-नादान उनके इश्क़ में खंडहर बन चुका अब कौन सा सजाऊँ आशियाना मेरे दोस्त छोड़ आई वो कोहिनूर वो उजाला ,अब तो तन्हाइयों विरानीयों से रिश्ता आम हुआ मेरे दोस्त हमारी सोहबत में मोहब्बत कहाँ जुदाई थी अब तकदीर के लिख्खें को कैसे बदलूँ मेरे दोस्त समंदर का वो जंजीरा छूटा हाथों से " Queen ये बात अब किस्से कहानियों में रहेगी मेरे दोस्त ।।। ♥️ Challenge-620 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।