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अब तो मेरी रुखसती का दिन भी नज़दीक आ रहा है जाने

अब तो मेरी रुखसती का दिन भी 
नज़दीक आ रहा है 
जाने कौनसी तरक्की का मंज़र 
 वह बना रहा है ।

ऐसा ना हो कि यह हिज़्र 
मुकम्मल उम्र भर के लिए कर दी जाए 
मोहब्बत भुलाकर पूछो उससे 
कौन सी अशर्फियां कमा रहा है ।।

©Divylaxmi chandra
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