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मेले की तरफ देखता हूं, जब मैं। मैं बड़ा हुआ ही थ

मेले की तरफ देखता हूं, जब मैं।
  मैं बड़ा हुआ ही था, कब मैं ।
याद आ हि जाता है ,बचपन मेरा।
खो ही जाता हूं बचपन में, तब मैं।
गुड़ की जलेबी,बहुत सारे झूले
मन की उत्कंठा,फिर से बचपन को छू लें। 
कल्पना उपजती है तब मेरे मन में
मेले की तरफ देखता हूं जब मैं।।

✍️✍️ सत्यवीर सिंह

©Satyaveer Singh
  #मेला