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एक ज़रा सी ग़लती पे दिल से कैसे उतर जाते हैं लोग,

एक ज़रा सी ग़लती पे दिल से  कैसे उतर जाते हैं लोग,
तोड़कर उनका दिल, गुनाह से कैसे उभर पाते हैं लोग! 

ग़लतियाँ दोहराई जाएँ गर  तो भी बात समझ आती है,
ग़लतफ़हमी के आइने में कैसे सज-सँवर पाते हैं लोग! 

उनसे होती नहीं क्या ग़लतियाँ, जो उँगली वो उठाते हैं, 
नज़रअंदाज़ कर अपना किया,  कैसे ठहर पाते हैं लोग! 

लफ़्ज़ों के तीर ज़ुबाँ से जो निकले  लौटकर आते नहीं, 
उन ज़ख़्मों को कुरेद के  कैसे ख़ुशी-लहर पाते हैं लोग! 

अपनों की नहीं फ़िक्र और वो बात ग़ैरों की करते 'धुन', 
रौंदकर यूँ ख़ुशियाँ, वहीं से फिर कैसे गुज़र पाते हैं लोग! #restzone #rztask357 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #गलतियाँ
एक ज़रा सी ग़लती पे दिल से  कैसे उतर जाते हैं लोग,
तोड़कर उनका दिल, गुनाह से कैसे उभर पाते हैं लोग! 

ग़लतियाँ दोहराई जाएँ गर  तो भी बात समझ आती है,
ग़लतफ़हमी के आइने में कैसे सज-सँवर पाते हैं लोग! 

उनसे होती नहीं क्या ग़लतियाँ, जो उँगली वो उठाते हैं, 
नज़रअंदाज़ कर अपना किया,  कैसे ठहर पाते हैं लोग! 

लफ़्ज़ों के तीर ज़ुबाँ से जो निकले  लौटकर आते नहीं, 
उन ज़ख़्मों को कुरेद के  कैसे ख़ुशी-लहर पाते हैं लोग! 

अपनों की नहीं फ़िक्र और वो बात ग़ैरों की करते 'धुन', 
रौंदकर यूँ ख़ुशियाँ, वहीं से फिर कैसे गुज़र पाते हैं लोग! #restzone #rztask357 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #गलतियाँ