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Date 17/9/17 आक्रोष...... धरा- गगन सब हिल उठे ऐस

Date 17/9/17

आक्रोष......

धरा- गगन सब हिल उठे
ऐसे तु कदम उठा 
मुर्दों की इस नगरी मे
आज फिर तांडव कर जा 

जाग उठे ये जग वाले
ऐसा कोई गीत सुना 
अपनी ही मेहनत से तु
एक नया इतिहास बना

जग पीरो का दरीया है
 फिर भी दिया - तले अधेरा है, 
जग पापों का भी दरीया है 
फिर भी रेल - बसेरा है

'पीर का अन्त नहीं इस जग में 
ऐसा तु केतु बन जा 
जो भव-सागर को पार लगाये
ऐखा तु सेतु बन जा

ये दुआ करे कलम मेरी 
तु जग का रूख बन जा 
सदीयो तक याद रहे तू जग को 
ऐसी कोई गाथा बन जा

कहने को तो सब जिन्दा है
 पर जान किसमें है, यहां 
सब मरते है, जग मे
पर आज जिन्दा कौन यहाँ?

©Durgesh Mehar आक्रोष....…..
#poem #motivate #world #aakrosh 
#selflove #vichar #Life #true
Date 17/9/17

आक्रोष......

धरा- गगन सब हिल उठे
ऐसे तु कदम उठा 
मुर्दों की इस नगरी मे
आज फिर तांडव कर जा 

जाग उठे ये जग वाले
ऐसा कोई गीत सुना 
अपनी ही मेहनत से तु
एक नया इतिहास बना

जग पीरो का दरीया है
 फिर भी दिया - तले अधेरा है, 
जग पापों का भी दरीया है 
फिर भी रेल - बसेरा है

'पीर का अन्त नहीं इस जग में 
ऐसा तु केतु बन जा 
जो भव-सागर को पार लगाये
ऐखा तु सेतु बन जा

ये दुआ करे कलम मेरी 
तु जग का रूख बन जा 
सदीयो तक याद रहे तू जग को 
ऐसी कोई गाथा बन जा

कहने को तो सब जिन्दा है
 पर जान किसमें है, यहां 
सब मरते है, जग मे
पर आज जिन्दा कौन यहाँ?

©Durgesh Mehar आक्रोष....…..
#poem #motivate #world #aakrosh 
#selflove #vichar #Life #true