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क्यां करूँ मै इन ज़ज़्बातों का, के तुझे फिर से पा ना

क्यां करूँ मै इन ज़ज़्बातों का,
के तुझे फिर से पा ना सके!
क्यां समझाऊ इस दिल को,
के मोहब्बत उसका पा ना सके!
क्यां क़ुसूर था इन आँखों का,
के फिर से खुशयों के आँशु ला ना सके!
किसका वास्ता दूँ अपनी इस ज़िन्दगी को,
के इसके लिए वफ़ा कर के भी वफ़ा पा ना सके!

©ABi Aman
  #sadakक्यां करूँ मैं@#

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