क्या राज पूछते हो मेरा दिल टटोल के देखो निकाल आँखें मेरी सर को फोड़ के इक बार दफ़न हो गए तो दफ़न हो गए कुछ फायदा नही हैं मेरी कब्र खोद के मशहूर यूँ नही है मिसाल-ए-वफ़ा मेरी कर ले यक़ी तू भी ज़रा गर्दन मरोड़ के दिल बार बार काट के छिड़का गया नमक फिर भी सनद थी कुछ बची नींबू निचोड़ के कोशिश तू कर के देख ले बाहर न आएगा मनीष लहद में सो गया है कफ़न ओढ़ के ©Manish Kr Gupta क्या राज पूछते हो मेरा दिल टटोल के देखो निकाल आँखें मेरी सर को फोड़ के इक बार दफ़न हो गए तो दफ़न हो गए कुछ फायदा नही हैं मेरी कब्र खोद के मशहूर यूँ नही है मिसाल-ए-वफ़ा मेरी कर ले यक़ी तू भी ज़रा गर्दन मरोड़ के