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तुझपर कोई किताब लिखदूँ तारीफ़-ए-अल्फ़ाज़ लिखदूँ लिखदू

तुझपर कोई किताब लिखदूँ
तारीफ़-ए-अल्फ़ाज़ लिखदूँ
लिखदूँ तुझे ही ज़िन्दगी और
तुझे ही अपना ख़्वाब लिखदूँ

रात की सुबह, लिखदूँ तुझे
जीने की वजह, लिखदूँ तुझे
करूँ मैं तेरी, बन्दगी सदा
अपना खुदा, लिखदूँ तुझे

हिस्से तेरे प्यार, बेहिसाब लिखदूँ
ज़मीन का मेरे, महताब लिखदूँ
लिखदूँ तुझे ही ज़िन्दगी और
तुझे ही अपना ख़्वाब लिखदूँ

©Bhimesh Bhitre
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