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शूल सब चुन कर हटाना चाहिए फूल से ख़ुशबू चुराना चाह

शूल सब चुन कर हटाना चाहिए
फूल से ख़ुशबू चुराना चाहिए

प्यार का दीपक जलाना चाहिए
नफरतों को यूँ मिटाना चाहिए

ग़र करो वादा किसी से दोस्त तुम
मरते दम तक फिर निभाना चाहिए

भोर से जाने कहाँ फिरते रहे
शाम को घर लौट जाना चाहिए

दोस्ती पे शक़ नहीं  करते मगर
दोस्तों को आज़माना चाहिए

रोते बच्चे को हँसाने के लिए
जीती बाज़ी हार जाना चाहिए

चार दिन की ज़िन्दगानी है मिली
इसमें बस हँसना हँसाना चाहिए

                    ©पल्लवी मिश्रा #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा
शूल सब चुन कर हटाना चाहिए
फूल से ख़ुशबू चुराना चाहिए

प्यार का दीपक जलाना चाहिए
नफरतों को यूँ मिटाना चाहिए

ग़र करो वादा किसी से दोस्त तुम
मरते दम तक फिर निभाना चाहिए

भोर से जाने कहाँ फिरते रहे
शाम को घर लौट जाना चाहिए

दोस्ती पे शक़ नहीं  करते मगर
दोस्तों को आज़माना चाहिए

रोते बच्चे को हँसाने के लिए
जीती बाज़ी हार जाना चाहिए

चार दिन की ज़िन्दगानी है मिली
इसमें बस हँसना हँसाना चाहिए

                    ©पल्लवी मिश्रा #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा