संकीर्ण विचार, झूट, सत्ता, स्वार्थ, से युक्त जो समाज है जज्बात, सत्य, दया, सेवा भाव, वो कहाँ समझता है जज्बात #संकीर्ण #विचार, #झूट #सत्ता, #स्वार्थ, से भरा जो #समाज है #जज्बात, #सत्य, #दया, #सेवा #भाव, वो कहाँ समझता है