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(युवा आदर्श विवेकानंद ) वो जन्मा सोया था भारत, व

(युवा आदर्श 
विवेकानंद )

वो जन्मा सोया था भारत,
वो गया रोया था भारत,,,।
गूंज उठा था शहर शिकांगो,
जब नरेंद्र स्वामी बन पहूंचे,,,।
युवा जोश था युवा उमंग थी,
भारत विश्व गुरु सोच एक थी,,,।
जज्बा था जोश जगाने का,
बुढ्ढे को शेर बनाने का,,,।
मातृ भूमि का प्रेमी था वो,
गुरू का आज्ञाकारी शिष्य,,,।
खुली आंखों से देखे सपने,
भारत को विश्व गुरु बनाने के,,,।
युवा प्रेरणादाई थे वो,
विनम्र,साहसी, शक्तिशाली बनाने को,,,।
दयावान ओर थे महान,
जिसने नारी को दुर्गा बताया,,,।
चूला,चोका, आंगन छोड़,
नारी को उसका कर्तव्य बताया,,,।
वाणी में जिसके औज था,
आलस्य जिसके बौझ था,,,।
खुद जगकर औरों को जगाया,
जिसने आगे बढना सिखाया,,,।
उम्र कम अनुभव कम,
दिल में रखता गोरों के जख्म,,,।
वो महान था आन बान था,
विचारों की वो खान था,,,।
आदर्श था वो हर युवा के लिए।।

©Khuman Singh
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