होती जितनी खुशी मिलन की, चुभती उतनी ही घड़ी विरह की, होती आसक्ति प्रिय से जितनी, उतनी असह्य औरों से नजदीकी उसकी होती जितनी खुशी मिलन की, चुभती उतनी घड़ी विरह की, होती जितनी आसक्ति प्रिय से, उतनी ही असह्य औरों से, नजदीकी उसकी। #yqdidi#yqbaba#love#happiness#attachment#pain#possesiveness#hindiquotes