मैं हसरत, वो समुंदर मेरा, मै भटकता पक्षी, वो मेरा डेरा। मैं कभी ना खत्म होने वाली रात, और वो मेरा चंचल सवेरा। इश्क है उनसे, तो जज़्बात भी होंगे, पता था नहीं मिलूंगा अब उनसे कभी, ऐसे हालात भी होंगे। कितनी बार कहां मैंने उससे अपने ज़ेहन में, कि अब तो छोड़ दें मुझे मेरे बदकिस्मत हाल पर। -----------आनन्द ©आनन्द कुमार #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #A_K