कभी रंगों की होली, तो कभी दिए जलाते रहे, हम बेखबर हो ज़माने से, खुद को आईने में दिखाते रहे! दर्द को मरहम बना हम दीवारों को सजाते रहे, भरी महफ़िल में हम खुद को तन्हा ही पाते रहे!! फूलों से ताल्लुक नही हमारा हम पत्थरों को सवारते रहे, महफ़िल की हर शोर में हम चुप चाप मुस्कुराते रहे!! हर एक धुन में मैं मुसाफ़िर हूँ यही गुनगुनाते रहे, एक दीपक जला दीवाली में, हम खुद को जलाते रहे!! #dilaemushafir #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #diwali #दीवाली