खो गया वो कल खो गया वो पल याद करता हूँ वो पल सुबह शाम आज कल तब गम भी रात भर मैं मिट जाया करते थे। वक़्त बस मस्ती और नींद मैं जाया करते थे। जेबे भरी थी कंचो से। बस दो पल के लिए ही रूठते थे अपनो से सारी मुरादे मांगा करते थे सपनो से। कोई लौटा दो वो पल कोई लौटा दो वो कल दोस्ती भी पूरे दिल से थी छांव भी मां के आंचल से थी। छोटी छोटी लड़ाइयां भी रोज थी पिता के कांधे की मौज थी। अब तो बस कलम है साथ मेरे वरना अपनी भी एक फौज थी। कंधो वाली रेलगाड़िया थी खूबसूरत अपनी यारियां थी कोई लौटा दो वो पल कोई लौटा दो वो कल। -संदीप #पोएम#poetry#kavita#कविता#poem