White मैं तो ठीक से कुछ कर पाया भी नहीं जी पाया भी नहीं, मर पाया भी नहीं कैसे मेरी मंजिल थी कैसा था रास्ता चल पाया भी नहीं ठहर पाया भी नहीं अजब ही मेरे मुकद्दर का खेल रहा संवर पाया भी नहीं बिखर पाया भी नहीं एक जख्म सा रहा सीने में ताउम्र मेरे उभर पाया भी नहीं भर पाया भी नहीं ©_बेखबर #good_night hindi poetry on life love poetry in hindi poetry sad poetry poetry in hindi