आबादी विस्फोट हुआ जलस्तर पाताल पहुंच गया, आँधी, सूखा, ज्वालामुखी। भूस्खलन और बाढ़ आपदा, कैसे रहेगा मनुष्य सुखी। भूमि सम्पदा, वृक्ष सरिताएँ, खनिज पदार्थ जंगल बूटी। संतुलन बिगड़ा पृथ्वी का, मानवता सुख आशा टूटी। संसाधन सीमित वसुधा के, अंधाधुंध है उपयोग यहाँ। जनसंख्या बढ़ती जाती है, कैसे पूर्ति पड़ पाए यहाँ। ©Shri #आबादी