वो हसीन तरीन, वो बेशुमार ख़ूबसूरत मुखड़ा। वो पुरा चाँद था, चाँद था उसके अक्स का टुकड़ा ।। चाँदनी रात में, जब मैं उससे छत पर गुफ़्तगू करता । चाँद शरमा के बदलों मे, छुपा लेता अपना मुखड़ा ।।