तू प्रीत का समर है मैं गहरा सागर हूँ तू वक्त पे प्रखर है मैं ठहरा सागर हूँ । तू धड़कन है दिल की मैं ऐहसास हूँ तू जल है मीठे झील की मैं प्यास हूँ । -अमित कुमार अनभिज्ञ *अकेला पन का आनंद*