Nojoto: Largest Storytelling Platform

उलझले केशों में गूँथे हैं निशा वो विरहिनी, स्याह

उलझले केशों में गूँथे हैं 
निशा वो विरहिनी,
स्याह चक्षु घेर..जोहे 
रास्ता वो विरहिनी........
जम रही 
निस्तेज काया 
कपकपाती 
शीत सी,
और हृदय में जागती उसकी 
ज्वलंत यामिनी...
वो विरहिनी 
वो आस,
वो देहरी पे आकर 
जा रही,
बैठ सत्यों के शवों पे, 
सत्य को जला रही....
अनुरक्त हो अनुराग में,वो देव से टकरा रही...
भस्म मले देह पे,
यौवन जला वो विरहिनी..
तापित वो शापित ग्रीष्म की अग्निशिला वो विरहिनी.........
                     @पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya #विरहिनी Sudha Tripathi Divya Joshi अज्ञात The Unstoppable thoughts