सुलग-सुलग =========== कैसा वो नज़ारा था,, धुआँ-धुआँ उसके हाथ में सुलग-सुलग रहा था | और लगा मानों..... मेरे दिल का प्यार -विश्वास उसके साथ में स्वाहा हो रहा था...... | एक छोटी-सी चिंगारी सुलग कर मुझे ही पूर्ण-रूप से सुलगा कर चली गई... | जिसमें मेरा प्यार भरा रिश्ता सुलग कर रह गया... आज वो जीत गया, और मेरा सब कुछ सुलग गया | आँखों से भी अगर आँसू निकलते हैं तो लगता हैं, कि कोई अग्नि सुलग रही हो. | गीता शर्मा प्रणय #सुलग-सुलग