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कई बातें अनकही हैं बोलती आँखें राज़ परत- दर-पर

कई  बातें अनकही  हैं  बोलती  आँखें
राज़  परत- दर-परत  हैं खोलती आँखें !

नज़र में बसाती कभी नज़र से उतारती
मुहब्बत की गहराई  हैं टटोलती  आँखें !

©malay_28
  #आँखें