क्या कहें, कैसे बयाँ करें ये तड़प का आलम, वो चेहरों के फ़रेब को सच्चा हाल जान बैठे। इक झलक में सारे ग़म छुपा लेते हैं हम, मगर वो इसे हमारे इश्क़ का कमाल मान बैठे। दिल की टूटन को भी मोहब्बत का रंग समझा, वो खामोशियों में छुपे दर्द को सवाल मान बैठे। कैसे बताएं कि ये हँसी सिर्फ़ एक नक़ाब है, हमारी हर बेबसी को वो अपना हक़ मान बैठे। ©नवनीत ठाकुर शेरो शायरी