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ओ याद... क्यू तू वक्त बे -वक्त चली आती है, बीते हु

ओ याद...
क्यू तू वक्त बे -वक्त चली आती है,
बीते हुऐ उन लम्हों आकर फिर से दोहराती है!!

©Nitish Rai #poem #Pocket #story #Love 

#Trees
ओ याद...
क्यू तू वक्त बे -वक्त चली आती है,
बीते हुऐ उन लम्हों आकर फिर से दोहराती है!!

©Nitish Rai #poem #Pocket #story #Love 

#Trees