अब जो इतनी मुख़्तसर बातें होंगी,
कितनी सूनी हमारी रातें होंगी ।
कर लिया तर्क़-ए-ताल्लुक़ हमसे,
अब न वो मीठी मुलाक़ातें होंगी।
हम पे सावन में हिज़्र उतरा है,
अब सुखी हुई सारी बरसातें होंगी।
कॉल न करने को कहा है उसने,
मोईन! दरो दीवार से अब बातें होंगी। #hizr#urdushayari#Urdughazal#saavan#moeen