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बेज़ार से दिन यूंही कल, कुछ तेरी कहानी कह गए झील

बेज़ार से दिन यूंही कल, 
कुछ तेरी कहानी कह गए
झील सी आंखों में, 
दरिया सी बहती रवानी दे गए
इस जालिम मुक्कदर ने भी, 
तुम्हें क्या छीना हमसे
जिंदा होकर भी सनम हम,  
जिंदगी को तरस गए।

नीरज श्रीवास्तव
मोतिहारी, बिहार

©Niraj Srivastava
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