ढलते शाम के अँधेरों में तुम्हें लिखने की आज़ादी, कि, जैसे परबत से निर निर्झर बहने की आज़ादी! __प्रेम__निराला__ ढलते शाम के अँधेरों में तुम्हें लिखने की आज़ादी, कि, जैसे परबत से निर निर्झर बहने की आज़ादी! __प्रेम__निराला__