"सोचा है कभी" कभी सोचा है ,दिल मेरा भी दुखता होगा जब तुम वो थमें थमें से रहते हो जब तुम हमसे कुछ नहीं कहते हो वो राते कैसे कटती है हमारी हाँ जब तुम हमसे रूठ के सोते हो कभी सोचा है , की कैसे खुद ये बुद्धू संभालता होगा जब तुम मेरे सपनों में रूठे होते हो दिन की चाय भी फीकी सी लगती है दिन की शुरआत भी तीखी सी लगती सी हाँं तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी सी लगती है यूं तो बहुत मजबूत होने का दावा कर लेता हूं लेकिन कभी सोचा है, तुझ बिन हम कितने कमजोर से होते है सोचा है कभी, क्यू हम इतना तुझसे झगड़ा करते है सोचा है कभी ,क्यूं हम खुद को हर बार मनाते है हम तो ऐसे ही हर बार खुद को समझाते है सोचा है कभी ,हम तुमको इतना प्यार क्यू करते है सोचा है कभी हम फिर भी तुमसे इकरार क्यू नही करते है सोचा है कभी हम तुझ बिन और तू हम बिन कितने अधूरे से लगते है सोचा है कभी हम तुझ बिन क्यूं पूरे से नहीं लगते है ©purvarth #सोचा है कभी