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जीवन सागर के पानी की तरह है कभी उत्तान तो कभी पतन।

जीवन सागर के पानी की तरह है
कभी उत्तान तो कभी पतन।
सूरज के किरोनो से कभी सुख जाती है तो कभी उसके साथ ही साथ खेलती है।
कभी कभी चुप चाप शांत रहती है।
किसीको तभी सिकायात नहीं करती।

©Sri batsa Meher
  जीवन सागर

जीवन सागर #कविता

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