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आज़ाद पंक्षियों को उड़ते देखकर- मन में मेरे थी जागी

आज़ाद पंक्षियों को उड़ते देखकर-
मन में मेरे थी जागी ख़्वाहिश-
छू सकूँ अम्बर-आकाश को-
पूरी कर सकूँ सारी ख़्वाहिश-
सागर की गोद में खेल सकूँ-
बहती हवा से लहरा सकूँ-
बारिश की बूंदों सा सबको सराबोर कर सकूँ-
चाँद-सितारों जैसा जगमगा सकूँ-
कोयल की आवाज़ जैसे कहकहे लगा सकूँ-
करूँ सारे सपनो को साकार-
दूँ दुनिया को एक नई आकार-
दुनिया की इस भीड़ से हटकर-
बना सकूँ अपनी एक नयी पहचान-
सारी खुशियाँ को मेरे सामने-
मिले जीवन को एक नया पयाम-
भागदौड़ की इस जीवन में-
ग़मो ने मेरी हर एक खुशी को-
हर एक चाहत को लूटा सा है!
सब कुछ है पास मेरे,पर-
ये जग ही हमसे रूठा सा है!! #NojotoQuote #ये जग ही हमसे रूठा सा है।

पूर्ण कविता अनुशिर्षक में-

कुछ टूटा सा-कुछ छूटा सा-
कुछ बिखड़े तो-कुछ लूटा सा-
सब कुछ है पास मेरे,पर-
ये जग ही हमसे रूठा सा है!!
आज़ाद पंक्षियों को उड़ते देखकर-
मन में मेरे थी जागी ख़्वाहिश-
छू सकूँ अम्बर-आकाश को-
पूरी कर सकूँ सारी ख़्वाहिश-
सागर की गोद में खेल सकूँ-
बहती हवा से लहरा सकूँ-
बारिश की बूंदों सा सबको सराबोर कर सकूँ-
चाँद-सितारों जैसा जगमगा सकूँ-
कोयल की आवाज़ जैसे कहकहे लगा सकूँ-
करूँ सारे सपनो को साकार-
दूँ दुनिया को एक नई आकार-
दुनिया की इस भीड़ से हटकर-
बना सकूँ अपनी एक नयी पहचान-
सारी खुशियाँ को मेरे सामने-
मिले जीवन को एक नया पयाम-
भागदौड़ की इस जीवन में-
ग़मो ने मेरी हर एक खुशी को-
हर एक चाहत को लूटा सा है!
सब कुछ है पास मेरे,पर-
ये जग ही हमसे रूठा सा है!! #NojotoQuote #ये जग ही हमसे रूठा सा है।

पूर्ण कविता अनुशिर्षक में-

कुछ टूटा सा-कुछ छूटा सा-
कुछ बिखड़े तो-कुछ लूटा सा-
सब कुछ है पास मेरे,पर-
ये जग ही हमसे रूठा सा है!!

#ये जग ही हमसे रूठा सा है। पूर्ण कविता अनुशिर्षक में- कुछ टूटा सा-कुछ छूटा सा- कुछ बिखड़े तो-कुछ लूटा सा- सब कुछ है पास मेरे,पर- ये जग ही हमसे रूठा सा है!! #poem #writing #kavita #प्रियम