जिंदगी चार पल की जिंदगी दो सुबह है दो शाम जीने को तो जी रहे है नहीं कोई आराम एक पल तेरी याद में एक पल शाद में एक पल रंजिश में है अगले पल बर्बाद में ना हसी ना खुशी ही है रंजो गम भी है तमाम जीने को तो जी रहे है नहीं कोई आराम ठोकरें जो लग रही गिर भी रहे संभल भी रहे आज तेरी दिल में लिए राहों पर है चल भी रहे टूटे सपने झोली में है हर ख्वाब पर लिखा है तेरा नाम जीने को तो जी रहे है नहीं कोई आराम सहर में जो चल पड़े सेहरा के नजारे लिए ना गुल दिखे ना गुलिस्तान ही है रेत में ही हो जाएगी श्याम उजड़े वीरान सी है जिंदगी अब तो वो भी लगने लगी है हराम जीने को तो जी रहे है नहीं कोई आराम ©BROKENBOY👨 जिंदगी चार पल की जिंदगी दो सुबह है दो शाम जीने को तो जी रहे है नहीं कोई आराम एक पल तेरी याद में