भारत एक विबूचन है एक विरोधाभासी देश है इसमें जितने गगनभेदी स्वर्ण. शिखर है उतनी ही गहरी अंधीयारी घाटीया भी एक तरफ प्रज्ञा की उच्चत्म अवस्थाये है दूसरी तरफ. अज्ञान. में लिपटी हुई मूर्छित मानवता इन दोनों के बींच कैसे सामंजस्य हों? ©Parasram Arora विरोधाभास.....