कुछ अंजान से लगते हो कुछ अंजाम गलत कर बैठे थे क्या कुछ नींद छुपाये लगते हो कुछ ख्वाब दिखाये बैठे थे क्या ये आँख दबाये लगते हो वो रात जगाये रहते थे क्या।। #frzigulzar