मूक दर्शक मात्र को रण तो केवल रण है पर योद्धाओं के तो हर क्षण में रण है। जो समाज सीचना चाहते हैं लहू के हर क्षण पर उनके कितना ऋण है। मृत्यु से घृणा है नही, और जीवन मात्र एक कण है। ऋण भरा जीवन #ऋण#जीवन