मन का झरोखा, फिर से सुना है तेरे बगैर। पल पल में राह तके, मेरी यह अखियां, कब आएगी तू, मेरे दिल के, झरोखों में रोशनी करने। तेरी ओर से आती ये हवाएं भी, ना दे तेरा कोई संदेशा मुझे, बारिश की बूंदे भी, बिना एहसास के भिगोये मेरे बदन को, पता नहीं यह कुदरत का कहर है, या मेरी कोई गलती। थोड़े वक़्त के लिए आई वह मेरी जिंदगी में, लेकिन जिंदगी भर की यादें दे गई , हर लम्हा मेरे साथ गुजार के, उस लम्हे में ही मुझे तन्हा छोड़ गई। मेरे दिल की ये पुकार सुन के, आ फिर से आजा, और मेरे मन के झरोखों में, तेरी मौजूदगी का एहसास दिला जा। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-823 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।