मैं एक पथिक चंचल सा तू समीर सी बेजोड़ साथी मैं नभ में उड़ता लहराता पतंग तू शीतल सी प्रकृति मेरी छंद मैं दरिया का मीठा पानी तू ममता सी मिश्रित घोल मैं मोती-सा बूँद चौमासा की तू शोर सी लहर समंदर की मैं महकता मंज़र ऋतु वसंत का तू कलरव स्वर-गुंजन माधुर्य सी मैं गुनगुनाते झींगुर की कलकल तू सरसराती नदियों की हलचल मैं धरा की नवीन अंकुरण तू नीर-लीन बरसती मेघ मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का तू प्रकृति माँ मेरे हर जनम की #मैऔरतू(७) #poetry #naturediariesbyarpit #love#nature #yqdidi#yqbaba #mothertongue_verse